ULTRA-H: पशुओं के थन, लेवटी और स्वास्थ्य का सम्पूर्ण समाधान
थन और लेवटी विकास का सम्पूर्ण उपाय:
पशु के थन और लेवटी का विकास कम होना, थनैला रोग का बार-बार होना, और दूध उत्पादन में कमी जैसी समस्याओं का एकमात्र समाधान है ULTRA-H।
बीमारी से लड़ने की शक्ति बढ़ाएं:
ULTRA-H से अपने पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं, जिससे थनैला रोग और अन्य बीमारियों से बचाव हो सके।
अडर और थन की देखभाल के लिए ULTRA-H का उपयोग:
गर्भकाल के अंतिम महीनों में ULTRA-H का उपयोग करने से पशु की अडर का सम्पूर्ण विकास होता है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
समस्या समाधान का एकमात्र उपाय:
ULTRA-H पशुओं के थन, लेवटी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का पूर्ण समाधान है, जिससे पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
समस्याएं
1
थन का विकास कम होना: पशुओं में थन या लेवटी का विकास पूरा नहीं हो पाता, जिससे दूध उत्पादन प्रभावित होता है।
3
थनैला रोग का बार-बार होना: थनों में बार-बार थनैला रोग (mastitis) होने से दूध उत्पादन में कमी आती है।
2
थन की धार का गिरना: कुछ थनों में दूध की धार स्वतः गिरने लगती है, जिससे दूध की मात्रा कम होती है।
4
चमड़ी और सींगों की समस्याएं: पशुओं की चमड़ी खुरदरी होती है और बाल गिरते हैं, जबकि खुरों और सींगों में दरारें दिखती हैं।
कारण:
1
रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी: पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
2
विटामिन और मिनरल्स की कमी: गर्भवती पशुओं में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, और मिनरल्स की कमी के कारण थन और लेवटी का विकास नहीं हो पाता।
3
उचित पोषण की कमी: आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और असंतुलित आहार से थनैला रोग और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
SUMO Milk-Gel के लाभ:
- अडर का सम्पूर्ण विकास: गर्भकाल के आठवें और नौवें महीने में ULTRA-H देने से पशुओं की अडर (लेवटी) का सम्पूर्ण विकास होता है, जिससे दूध कोशिकाओं की दीवारें लचीली बनती हैं और दूध उत्पादन बढ़ता है।
- थनैला रोग से सुरक्षा: ULTRA-H थनैला रोग से खराब हुई कोशिकाओं की मरम्मत और पुनर्निर्माण करता है, जिससे पशु स्वस्थ रहता है और दूध उत्पादन स्थिर रहता है।
- सींग और खुर की मरम्मत: फटे हुए सींग और खुर की दरारों को भरने में मदद करता है, जिससे पशु की चाल और खड़े होने की क्षमता में सुधार होता है।
चमक और स्वास्थ्य में सुधार: ULTRA-H का उपयोग करने से पशुओं की त्वचा में चमक आती है और वे स्वस्थ, सजीव दिखाई देते हैं।
थन और अडर का सम्पूर्ण विकास:
ULTRA-H के नियमित उपयोग से गर्भकाल के आठवें और नौवें महीने में पशु की अडर का सम्पूर्ण विकास होता है, जिससे दूध कोशिकाओं की दीवारें लचीली बनती हैं और दूध का निर्माण और संग्रह अधिक होता है।
थनैला रोग से सुरक्षा:
ULTRA-H थनैला रोग से खराब हुई कोशिकाओं का तेजी से पुनर्निर्माण करता है और ब्याने के बाद होने वाले थनैला रोग से पशु को बचाता है।
खुर और सींग की समस्याओं का समाधान:
ULTRA-H फटे हुए सींग और खुर की दरारों को भरने में मदद करता है, जिससे पशु की चाल और खड़े होने की क्षमता बेहतर होती है।
चमक और स्वास्थ्य में सुधार:
ULTRA-H से गर्भाशय में पल रहे बच्चे और पशु दोनों की त्वचा में विशेष चमक आती है, जो स्वस्थ और सजीवता का प्रतीक है।